Special Features of 1 2 5 10 Rupee Coins: हम में से लगभग हर व्यक्ति द्वारा दिन में कई बार सिक्कों का इस्तेमाल लेनदेन के लिए किया जाता है। लेकिन जिन सिक्कों का हम इस्तेमाल करते हैं, उनके अंदर ऐसी बहुत सारी इनफॉरमेशन होती है, इसके बारे में हमें मालूम नहीं होता। सिक्कों के अंदर छुपी यह विशेषता बताती है कि कौन सा सिक्का किस जगह से बनकर आया है और उसका क्या इतिहास है।
ऐसे में यदि आप भी 1, 2, 5, 10 या ₹20 का सिक्का इस्तेमाल करते हैं तो, आपको भी यह सूचना जरूर पढ़नी चाहिए। इस लेख “Special Features of 1 2 5 10 Rupee Coins” में हमने भारतीय सिक्कों के बारे में संबंधित facts को शामिल किया है जिससे आप यह जान पाएंगे कि, आप जो सिक्का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह किस फैक्ट्री से बनकर आया है, किस सन में बना है, उसकी क्या विशेषताएं (Special Features of 1 2 5 10 Rupee Coins) हैं आदि।
Special Features of Coins
केवल चार जगह बनते हैं भारतीय सिक्के
भारत में केवल चार कारखाने में ही सिक्कों का निर्माण किया जाता है। ये कारखाने कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद और नोएडा में स्थित है। यहीं से देश भर में संचारित होने वाले सिक्कों का निर्माण होता है। बता दें कि जिस फैक्ट्री में सिक्कों का निर्माण किया जाता है उसे Mint / मिंट कहा जाता है। इन कारखानों को टकसाल भी कहा जाता है। हर मिंट द्वारा बनाए जाने वाले सिक्कों में विशेष प्रकार के चिन्ह होते हैं जो यह बताते हैं कि यह सिक्का कहां से बनकर आया है।
कोलकाता में है सबसे पुराना टकसाल
कोलकाता के अलीपुर में स्थापित भारतीय टकसाल कारखाना सबसे पुराना कारखाना है जहां पर भारतीय सिक्कों का निर्माण किया जाता है। इसे 1757 में शुरू किया गया था हालांकि भारत सरकार द्वारा 1952 में भारत सरकार द्वारा इसे दोबारा नए तरीके से संचालित किया गया। जबकि मुंबई मिंट की शुरुआत 1829 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा की गई।
भारत की आजादी के बाद दो नए टकसाल और शुरू किए गए जिसमें पहले हैदराबाद का मिंट है जिसे हैदराबाद के निजाम द्वारा 1803 में बनाया गया था। जबकि हैदराबाद रियासत का भारत में विलय हो जाने के बाद, भारत सरकार द्वारा 1950 में हैदराबाद मिंट को भारत सरकार के अंतर्गत शामिल कर लिया गया। इसके बाद भारत का सबसे नवीनतम मिंट नोएडा में स्थापित किया गया है जिसे 1 जुलाई1988 में शुरू किया गया। अभी तक इन चार कारखानो से ही भारत में मुद्रा का निर्माण किया जाता है।
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हर मिंट का है एक विशेष चिन्ह
आपके पास जो भी सिक्के मौजूद हैं उसमें कुछ विशेष चिन्ह बने हुए हैं। जो हर मिंट द्वारा बनाए जाते हैं। हालांकि हर एक चिन्ह एक विशेष खासियत है। यह विशेष चिन्ह सिक्के के पीछे लिखे हुए सन के ऊपर या नीचे लगाए जाते हैं, जो कि इस प्रकार है:
- कोलकाता टकसाल भारत का सबसे पुराना सिक्के छापने का कारखाना है, इसलिए इसमें कोई भी चिन्ह देखने को नहीं मिलता। हालांकि अक्सर सिक्कों में देखा गया है कि सन के ऊपर एक C का आकार बना होता है। इसके अलावा लगभग सभी मिंट में विशेष सिक्कों का भी निर्माण किया जाता है, जिसमें मेडल, पुरस्कार इत्यादि भी शामिल हैं। लेकिन कोलकाता टकसाल द्वारा भारत रत्न सिक्के का निर्माण भी किया जाता है जो उसको एक अहम भूमिका प्रदान करता है।
- जबकि यदि मुंबई मिंट की बात की जाए तो इसमें जी सन में सिक्का जारी किया जाता है उसके नीचे एक हीरे के आकार का चिन्ह होता है। जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि, इसका निर्माण मुंबई में हुआ है।
- हैदराबाद मिंट द्वारा जिस सन में सकल जारी किया जाता है उसके नीचे एक तारा का चिन्ह होता है।
Noida
- नोएडा मिंट द्वारा जारी किए गए सिक्कों में आपको एक डॉट का चिह्न देखने को मिलेगा, जो सन के नीचे लिखा होता है।
इस प्रकार अब आप आसानी से यह देख सकते हैं कि आपकी जेब में रखा हुआ सिक्का किस जगह से बनकर आया है और उसकी क्या विशेषता है। हालांकि इन सभी विशेष चिन्ह के अतिरिक्त लगभग सभी टकसालों द्वारा विशेष प्रकार के मेडल और पुरस्कार भी बनाए जाते हैं जो सिक्के के आकार में डाले जाते हैं। समय-समय पर भारत सरकार द्वारा विशेष व्यक्तियों को सम्मान देने के लिए भी उनके नाम का सिक्का जारी किया जाता है जो इन्हीं कारखाने में बनता है।
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भारतीय टकसालों के बारे में सामान्य तथ्य
भारत में टकसालों का संचालन Security Printing and Minting Corporation of India Limited (SPMCIL) द्वारा किया जाता है। भारतीय सिक्कों में नकली सिक्कों को रोकने के लिए कई सुरक्षा विशेषताएं होती हैं। इन टकसालों में उत्पादित सिक्कों का उपयोग रोजमर्रा के लेन-देन के लिए किया जाता है और विशेष अवसरों जैसे स्मारक कार्यक्रमों के लिए भी किया जाता है। ये टकसालें देश में मुद्रा की उपलब्धता सुनिश्चित करने और स्मारक सिक्कों के माध्यम से ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।