44 New Kendriya Vidyalayas in Uttarakhand: हर जिले में कम से कम दो नये केंद्रीय विद्यालय खोलने के लिए पिछले वर्ष सभी जिलाधिकारियों को प्रस्ताव तैयार कर भेजने का निर्देश दिया गया था। अब राज्य में 44 नए केंद्रीय विद्यालय खोलने की तैयारी (44 New Kendriya Vidyalayas in Uttarakhand) है। इसके लिए जिला प्रशासन और सरकार प्रयास कर रही है। सरकार का मानना है कि अगर सुदूर इलाकों में केंद्रीय विद्यालय खुलेंगे तो इलाके के बच्चों को अच्छी शिक्षा मिलेगी। साथ ही शिक्षा के लिए पलायन भी काफी हद तक रुक जायेगा, फिलहाल राज्य में 47 केंद्रीय विद्यालय हैं।
केन्द्रीय विद्यालय राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हर साल हजारों बच्चे केंद्रीय विद्यालयों में पढ़ने का सपना देखते हैं, लेकिन इनमें से कुछ ही सफल हो पाते हैं। केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में उत्तराखंड के हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खोलने की पहल की थी। केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली ने इसके लिए राज्य सरकार से निर्धारित मानक के अनुरूप जमीन उपलब्ध कराने को कहा था।
44 New Kendriya Vidyalayas in Uttarakhand
हर जिले में कम से कम दो नए केंद्रीय विद्यालय खोले जा सकेंगे . राज्य के हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खोलने की पहल को All Weather Road Project के बाद राज्य को पीएम मोदी का दूसरा सबसे बड़ा तोहफा माना गया था, लेकिन तब केंद्रीय विद्यालयों के लिए तय मानक के मुताबिक जमीन नहीं मिल पाई थी। सरकार के मुताबिक पिछले साल सभी जिलाधिकारियों को प्रस्ताव बनाकर भेजने का निर्देश दिया गया था ताकि हर जिले में कम से कम दो नए केंद्रीय विद्यालय खोले जा सकें।
रूद्रप्रयाग जिले को छोड़कर अन्य सभी जिलों से केन्द्रीय विद्यालयों के प्रस्ताव प्राप्त हो गये हैं। कुछ जिलों से दो से अधिक प्रस्ताव मिले हैं। समय-समय पर प्राप्त ये प्रस्ताव उपायुक्त केन्द्रीय विद्यालय संगठन को भेज दिये गये हैं। जिला प्रशासन और उपायुक्त केंद्रीय विद्यालय संगठन के स्तर पर इन स्कूलों के लिए जमीन और अस्थायी भवन का मामला सुलझने के बाद सभी प्रस्ताव केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली को भेज दिए जाएंगे।
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ये मानक हैं
स्कूल ढाई से पांच एकड़ के परिसर में बनेगा। इसके लिए राज्य सरकार को एक रुपये की दर से 99 साल की लीज पर या मुफ्त में जमीन उपलब्ध करानी होगी। इसके अलावा, जब तक केंद्रीय विद्यालय का स्थायी भवन नहीं बन जाता, तब तक सरकार को 15 कमरों की निःशुल्क व्यवस्था करनी होगी, ताकि विद्यालय का अपना भवन बनने तक अस्थायी भवन में पढ़ाई शुरू की जा सके।
केंद्रीय विद्यालयों के लिए अलग-अलग समय पर कुछ प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसके लिए जमीन और अस्थाई भवन की व्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। मानकों पर खरा उतरने पर प्रस्ताव केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली को भेजे जाएंगे।
प्रदेश में अभी 47 केंद्रीय विद्यालय हैं
आपको बता दें कि उत्तराखंड में इस वक्त 47 केंद्रीय विद्यालय हैं। प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने में केन्द्रीय विद्यालय अहम भूमिका निभाते हैं। उत्तराखंड में हर साल हजारों बच्चे केंद्रीय विद्यालय में पढ़ने का सपना देखते हैं लेकिन कुछ ही बच्चे अपना यह सपना पूरा कर पाते हैं।
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रूद्रप्रयाग जिले को छोड़कर सभी जिलों से प्रस्ताव प्राप्त हो गये हैं
साल 2019 में केंद्र सरकार ने हर ब्लॉक में केंद्रीय विद्यालय खोलने की पहल शुरू की। जिसके बाद केंद्रीय विद्यालय संगठन नई दिल्ली ने प्रदेश सरकार से मानक के अनुरूप जमीन उपलब्ध कराने को कहा था। परंतु उस समय इसके लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध नहीं थी। जिसके बाद सरकार ने पिछले वर्ष सभी जिलों से इसके लिए प्रस्ताव मांगा था। बताया जा रहा है कि सरकार को रुद्रप्रयाग जिले को छोड़कर बाकी सभी जिलों से प्रस्ताव मिल गए हैं, कुछ जिलों से दो से अधिक प्रस्ताव भी मिले हैं।